Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society
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[5. 8. 18
पुप्फयंतविरइयउ घत्ता-गउ मंदिरु मजणमंडणइं रईयई माणिणिमणखंडणई।
उवठवियई भोयणभूसणइं देवंगई वत्थई णिवसणइं॥८॥
Love springs at first sight. अण्णहिं दिणि ईसीसि हसंते
पुच्छिउ णंदु मणोहरिकंतें। पुरवरे वीण को वि किं जाणइ कहइ णराहिउ सोत्तई पीणइ । पुत्ति महारी उव्वसि मीणइ.
वीणावजु चारु परियाणइ। जामहिं आलावणि आलायइ
तामहिं जिणमुणिहिं वि मणु रावइ । ता दक्खालिउ मुद्धहे णरवरु
णं कामें धणु गुणसंधियसरु । पियविरहे मणु दुक्खइ दुक्खइ सुटु मुहुल्लउ सुक्कइ सुक्कइ। अंगु अणंगें तप्पइ तप्पइ
दसणे रइजलु छिप्पइ छिप्पइ। गच्छंतिहे गइ गुप्पइ गुप्पट वल्लहगुणकह जंपइ जंपइ
अण्णकहंतरे कुप्पइ कुप्पइ। पिय सुंदरि णं जीवे मुक्की
परवस तंतीवजउ चुक्की। पुणु कामेण वीण अवलोइय
कामिणि जिह गुणेण संजोइय। घत्ता-जुयराएं तंतिहिं दिण्णु करु वीणासरु णावइ कुसुमसरु ।
सुइसुसिरे हियइ पइट्ट किह तिहुयणरइ घुम्मिवि पडिय जिह ॥९॥
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The marriage. Nagakumara learns from a merchant about some marvels in the
Ramyaka forest and starts for the place. विहिओ सुयणांणं उच्छाहो
दुण्हं पुरणाहेण विवाहो। अहिणवमुग्गमणोहरवयणा
बहुलायण्णा दिण्णा कण्णा । णायकुमारहो संगे लग्गा
अज्झासा इच्छियसंसग्गा। किण्णरिदेविमणोहरियाओ
णियपुत्तीओ जिह धरियाओ। वालस्स य रइयं सम्माणं
मयरद्धयपडिवत्तिसमाणं ।।
११ ABC सजण° १२ C घइयई. 9. १ जावहिं आलावहिं. २ ABD तावहिं. ३ E गुणु. ४ E अणंगई. ५ E गच्छंतिहिं गय. ६ E
किह. ७ CE मयणसरु. ८ E तिहुवणरइ. 10 १ D सुय गाणंदउच्छाहो. • BCE मुद्ध.
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