Book Title: Mayavi Rani
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७ मायावी रानी और कुमार मेघनाद 'हे नागेन्द्र, आप स्नेहभरी दृष्टि से मुझे देखिए... और मुझे आप पति रूप भिक्षा दें।' यह सुनते ही राक्षस बिफर उठा! वह गुस्से से बौखला उठा। वह समझ गया कि मंजरी ने उसे ठग लिया है...। वह एकदम कटारी लेकर कुमार की तरफ दौड़ा मारने के लिये... इतने में नागराज धरणेन्द्र स्वयं वहाँ पर प्रगट हुए! राक्षस का कटारीवाला हाथ आकाश में ऊपर ही लटकता रहा...| उसकी आँखो में भय की आशंका घिर आयी । नागेन्द्र ने उसका घोर तिरस्कार करते हुए उसे ऐसी लात मारी कि वहीं पर उसका काम पूरा हो गया! ___ मेघनाद और मदनमंजरी ने भक्तिभाव से नागराज के चरणों में वन्दना की। नागेन्द्र ने प्रसन्न होकर कहा : ___ 'कुमार-कुमारी, मैं इस कटोरे का अधिष्ठायक देव नागराज धरणेन्द्र स्वयं हूँ | इस राक्षस ने जो कि एक मनुष्य था, बारह बरस तक जंगल में रह कर तपश्चर्या की थी। औंधे सिर लटक कर जाप किया था...। इस तरह उसने मेरी आराधना की थी। उस पर प्रसन्न होकर मैंने यह दिव्य कटोरा उसे दिया था । पर ऐसी चिंतामणी रत्न-सी दिव्य वस्तु पुण्यहीन आदमी के नसीब में नहीं होती है! तुम दोनों ने गत जन्म में जो धर्म-आराधना की है, उसके प्रभाव से इस जन्म में बिना कोई तपश्चर्या किये यह कटोरा अनायास तुम्हें प्राप्त हो गया है। मेरी कृपा से जीवन पर्यन्त तुम्हें इससे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होंगे। हालाँकि तुम्हारी जिन्दगी में छह महीने का एक ऐसा समय आयेगा... जब तुम्हें दुःख का सामना करना होगा...। उस समय यह कटोरा भी काम नहीं आयेगा, पर बाद में सब ठीक हो जायेगा!' । यों कहकर नागराज धरणेन्द्र अदृश्य हो गये। मेघनाद छलकती खुशियों को पलकों पर सँजोये भीनी निगाहों से मदनमंजरी के सामने देखता रहा। मदनमंजरी के साहस-पराक्रम से एवं उसकी चतुराई से वह बड़ा प्रसन्न हो उठा था। मेघनाद ने कहा : 'प्रिये, तेरा साहस गजब का है। मुझ पर तेरा प्रेम भी कितना अद्भुत है। तेरी चतुराई भी कितनी अजब की है! यदि तू मेरे पीछे-पीछे नहीं आई होती तो शायद मैं जिन्दा होता या नहीं भी होता! राज्य भी नहीं होता... और यह दिव्य कटोरा भी नहीं मिल पाता! आज के बाद भविष्य में चाहे अनेक राजकुमारियाँ मेरी पत्नियाँ बनेगी पर मेरी पट्टरानी तो तू ही है और रहेगी!' For Private And Personal Use Only

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