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राजकुमार अभयसिंह
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१. राजकुमार अभयसिंह। कुशान नाम का एक गाँव था।
एक बार उस इलाके में दुष्काल के साये उतर आये । खाने के लिये अनाज नहीं... और पीने के लिये पूरा पानी भी नहीं मिलता था। लोग कब तक भूखे और प्यासे रह सकते थे? काफि लोग उस इलाके को छोड़कर दूर-दूर के गाँवों में चले गये। ___ उस गाँव मे 'भद्रक' नाम का एक युवक रहता था। वह किसान था। वह उस गाँव को छोड़कर जाने की स्थिति में नहीं था, क्योंकि उसकी माँ बहुत बूढ़ी थी। वह घर के बाहर भी न निकल सके वैसी उसकी हालत थी। ___ जब घर में अनाज का एक दाना भी नहीं रहा तब भद्रक के मन में बुरे विचार आने लगे। ___ 'मैं जंगल में जाकर जानवरों का शिकार करूँ... पशु का मांस पकाकर भोजन करूँ।'
उसने हँसिया उठाया और जंगल में गया । जंगल में उसने एक खरगोश को देखा। तुरंत ही उसने दूर से हँसिये का वार किया। पर खरगोश चालाक निकला... वह जल्दी से भाग गया...उसे हँसिया लग नहीं पाया । भद्रक हँसिया लेकर उसके पीछे दौड़ा...फिर से वार किया... पर खरगोश से वार चुक गया । तीसरी बार वार किया... पर हर बार खरगोश बचता रहा । और दौड़ता हुआ वह खरगोश जंगल में ध्यान करते हुए एक मुनिराज के दोनों पैरों के बीच में जाकर दुबक गया। दया के सागर जैसे मुनिराज की उसने शरण ले ली। ___ मुनिराज तपस्वी थे। ज्ञानी और ध्यानी थे। उनके प्रभाव से उस जंगल का एक देव उनका सेवक बन गया था। उस वनदेवता ने खरगोश को मुनिराज के चरणों में दुबका हुआ देखा...और हँसिया लेकर दौड़े आ रहे भद्रक को भी देखा। देव ने तुरंत ही मुनिराज के आगे एक स्फटिक की पारदर्शी दीवार खड़ी कर दी।
देव के पास तो दिव्य शक्ति होती है। उसे दीवार खड़ी करने में कितनी देर लगनेवाली थी? पाँच-दस क्षण में तो उसने दीवार खड़ी कर दी। भद्रक उस दीवार को नहीं देख पा रहा था... क्योंकि वह स्फटिक रत्न की पारदर्शी दीवार थी।
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