Book Title: Mayavi Rani
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 145
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पराक्रमी अजानंद १३५ अजानंद ने विमलवाहन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा : 'विमल, सच में तू गुणवान है। तेरा इतना प्यार और अपनापन देखकर ही मुझे राज्य क्या, दुनियाभर की संपत्ति मिल गई! मुझे तेरा सर्वस्व मिल गया। मैंने जो कुछ भी तेरे लिए किया मेरे दिली प्यार के खातिर ही किया है! इसमें बदला क्या लेना? तू खुशी से राज्य कर | प्रजा का पालन कर और जीवन में धर्म को स्थान देना।' विमलवाहन ने बड़ी मिन्नतें करके अजानंद को वहीं रोके रखा। अजानंद कुछ महीने वहीं पर रहा। विमलवाहन ने उसको पूरे सम्मान एवं गौरव से रखा। एक दिन यकायक अजानंद को राजा चंद्रापीड़ याद आ गया! खुद एक ग्वाले का लड़का था। चंद्रापीड़ ने अपने सैनिकों के द्वारा उसे जंगल में फिंकवा दिया था...! यह सब उसके जेहन में उभरने लगा। बारह बरस बीत चुके थे परिभ्रमण करते-करते । अजानंद अब तो काफी शक्तिशाली हो चुका था । उसके मन में राजा चंद्रापीड़ के प्रति भयंकर गुस्सा फुफकारने लगा। ___ उसने विमलवाहन से कहा : 'मित्र, अब मैं यहाँ से बिदा लूँगा | परंतु मुझे एक लाख सैनिक चाहिए।' विमलवाहन ने एक लाख सैनिकों की व्यवस्था की। अजानंद ने जिन हाथी-घोड़ों को सैनिक बना दिये थे, उन्हें वापस हाथीघोड़ों में परिवर्तित कर दिया। कुछ मील तक विमलवाहन अजानंद को बिदाई देने के लिए साथ चला। अजानंद ने बड़ी मुश्किल से विमलवाहन को वापस लौटाया। अजानंद ने अपने प्रयाण को और तीव्र बनाया। चंद्रानना नगरी में राजा चंद्रापीड़ निर्भय और निश्चित होकर राज्य कर रहा था। पर जब अजानंद ने विजयानगरी से प्रयाण किया तब राजा चंद्रापीड़ को रात्रि के समय एक देवी ने आकर कहा : 'राजा, अब तेरी मौत निकट है।' इतना कहकर देवी अदृश्य हो गई। राजा चंद्रापीड़ को डर लगने लगा। उसका मन गमगीन हो उठा। उसे मौत के डरावने साये आसपास मँडराते नजर आने लगे। सुबह में उठकर नित्यकर्म से निपट कर उसने 'सत्य' नाम के ज्योतिषी को बुलाकर पूछा : 'सत्य महाराज, मुझे यह बतलाइये कि मेरी मौत कब होगी और किसके हाथों होगी?' सत्य ज्योतिषी ने तुरंत प्रश्न कुंडली रख कर अपने ज्योतिष शास्त्र के आधार पर मन ही मन कुछ निर्णय किया और राजा से कहा : For Private And Personal Use Only

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