Book Title: Mayavi Rani
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 143
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पराक्रमी अजानंद १३३ से प्रयाण किया। कुछ ही क्षणों में तो वे सब विजयानगरी में पहुँच गये। वहाँ जाते ही अजानंद ने अपना मूल रूप धारण कर लिया। राजकुमार सभी को लेकर राजमहल में गया। महामंत्री राजमहल के द्वार पर ही खड़े थे। उन्होंने सबका स्वागत किया। राजकुमार को उन्होंने अपने बाहुपाश में ले लिया! सभी सभाकक्ष में जाकर बैठे | महामंत्री ने नगर की सारी परिस्थिति बयान की । कुमार ने अजानंद का परिचय करवाया। अजानंद की दिव्य शक्तियों की बात कही। महामंत्री हर्षविभोर हो उठे । अजानंद को अपने सीने से लगाकर वात्सल्य से उसको नहला दिया! महामंत्री ने कहा : 'आज तुम स्नान वगैरह करके थकान उतारो। सुन्दर वस्त्र धारण करो...भोजन वगैरह करके आराम करो। कल हम युद्ध की व्यूहरचना के बारे में सोचेंगे।' अजानंद ने कहा : 'महामंत्री, कल सबेरे सबसे पहले तो विमलवाहन का राज्याभिषेक करने का कार्य निपटाना होगा। राजा के बिना राजसिंहासन कब तक सूना रहेगा। और फिर प्रजा को निमंत्रित करके उसे आश्वस्त एवं निश्चित करना भी अत्यन्त आवश्यक है...ताकि प्रजा का मानसिक भय दूर हो सके। फिर दुश्मनों को मार भगाने का काम बड़ा आसान हो जाएगा।' महामंत्री ने कहा : 'महापुरुष! आपकी आज्ञा के मुताबिक कल सबेरे राजकुमार का राज्याभिषेक कर देंगे। आप तो हम सब के तारनहार हो...' पूरे नगर में जोरशोर से राजकुमार के राज्याभिषेक का ढिंढोरा पिटवाया गया। प्रजा में आनंद की लहरें उठने लगी। दूसरे दिन बड़ी धूमधाम से राज्याभिषेक किया गया। उस समय इतने जोरों से घंटनाद किया गया कि नगर को घेरा डालकर बैठे हुए दुश्मन राजा-लोग चौंक उठे! 'अरे...अचानक नगर में यह घंटनाद क्यों हो रहा है? इतनी किलकारियाँ क्यों सुनाई दे रही है...जैसे उत्साह व उमंग का वातावरण बन गया हो!' इतने में उन राजाओं के पास राजा विमलवाहन का दूत आकर के खड़ा हो गया। उसने कहा : 'हमारे नये महाराजा विमलवाहन ने कहलाया है कि या तो तुम लोग नगर का घेरा उठा कर चले जाओ...वरना युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।' यों कहकर राजदूत वहाँ से चला गया। विमलवाहन ने अजानंद से कहा : 'दोस्त, मेरे जिस हाथी को तूने आदमी बना दिया है...उसको अब वापस हाथी बना दे...तो मैं अपने उस पट्टहाथी पर बैठकर 'युद्ध के मैदान में उतरूँ और दुश्मनों का सफाया कर दूँ!' For Private And Personal Use Only

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