Book Title: Mayavi Rani
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजकुमार अभयसिंह ४४ पर पसीना-पसीना छूट गया। वह पलभर के लिये खड़ा रहा। उसी समय अभयसिंह उसकी सूंढ पकड़ कर छलांग लगाकर उसकी पीठ पर कूद गया । नजदीक में आये हुए हाथी के महावत ने अभयसिंह के हाथ में अंकुश फेंका। अभयसिंह ने अंकुश लगा-लगाकर हाथी को वश में कर लिया । राजकुमारी तो अभयसिंह का पराक्रम देखकर आश्चर्यचकित हो उठी थी । उसकी आँखे खुशी के आँसुओं से गीली हो उठी थी । नगरवासी हजारों लोगों ने युवा अभयसिंह का जय-जयकार करके आकाश को भर दिया। सभी लोग उसे प्यार की निगाहों से देखने लगे । धीरे-धीरे हाथी को चलाता हुआ अभयसिंह राजा की हस्तिशाला (हाथी को रखने की जगह) के दरवाजे पर पहुँचा । राजा मानसिंह अपने महल के झरोखे में खड़ा-खड़ा अभयसिंह को देख रहा था। वह सोच रहा था : 'यह लड़का किसी बनिये का बेटा नहीं लगता है। यह किसी क्षत्रिय का खून लगता है...। उसकी आकृति, उसका पराक्रम यह सब किसी क्षत्रिय खून की गवाही दे रहा है। क्या यह नौजवान उस दिव्य वाणी को सच करेगा ? तब तो मुझे पहला काम उसको ठिकाने लगाने का करना होगा ।' अभी अभयसिंह हाथी पर बैठा था । लोग उसका जयजयकार मचा रहे थे। राजा ने अपने सैनिकों को बुलाकर फटकारा : 'ओ डरपोक कायरों ! तुम युद्ध कला में इतने निपुण होते हुए भी एक मामूली हाथी को वश में नही कर सके ? इस बनिये के बेटे ने हाथी को वश करके बीच बाजार में, सरेआम तुम्हारा नाक काट लिया ! शरम करो कुछ, डूब मरो हथेली में पानी लेकर ! यदि तुम इस लड़के को जिन्दा रहने दोगे तो लोग जिन्दगी भर तक उसका आदर करेंगे और तुम्हारी मजाक उड़ायेंगे। इसलिये यदि तुम में जरा भी अक्ल हो तो यह जैसे ही हाथी पर से नीचे उतरे... तुम तुरंत उसे मार डालो! जाओ...मूरखों के सरदारों ... डरपोक पिड्डुओं ! भागो यहाँ से!' राजा ने चिल्लाते हुए कहा । सैनिक अभयसिंह की तरफ दौड़े। अभयसिंह हाथी पर से उतरने की तैयारी कर रहा था। इतने में उसने नंगी तलवारें हाथ में लिये पचास सैनिकों को अपनी तरफ लपकते देखा। वे हाथी को घेर कर खड़े रहे। सभी ने तलवार उठा ली। अभयसिंह को खयाल आ गया कि वे लोग मुझे मारने के लिये आये हैं।' उसने अदृश्य हो जाने कि विद्या का स्मरण किया और तुरंत ही जैसे वह हवा में ओझल हो गया । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155