Book Title: Mat Mimansa Part 01
Author(s): Vijaykamalsuri, Labdhivijay
Publisher: Mahavir Jain Sabha

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Page 14
________________ ....XX..........X EXMOX XOX ..........) *......XXC...........X प्रतापस्य स्थानं वसतिममलां धर्म्मनृपतेः । गृहं सन्तोषस्याऽमलगुणततेर्वासभवनमुपाध्यायं वन्दे तमनुदिवसं वीरविजयम् ॥ ४ ॥ प्रबोधं भव्यानां दददमृतगुर्योऽमलकला, निवासस्तेजस्वी जगति विचरन् शुद्धहृदयः । हयाङ्गाङ्केन्द्वद्वे(१९५७)ऽलभत पदवीं नष्टदुरित, उपाध्यायं वन्दे तमनुदिवसं वीरविजयम् ॥ ५ ॥ पटिष्ठं सिद्धान्ते मुनिजनगरिष्ठं च विदुषां " वरिष्ठं श्री श्रेष्ठं विमलगुणजुष्टं सुमनसम् । हरन्तं द्राघिष्ठां भवजलधिभीतिं भवभृतामुपाध्यायं वन्दे तमनुदिवसं वीरविजयम् ॥ ६॥ विहायाङ्गस्नेहं सकलजनताक्षामणविधिं, विधायानन्दाप्तो विमलतपसा यो गुणनिधिः । शराश्वाङ्कक्षोणिप्रमिति(१९७५) शरदि स्वर्गमगम दुपाध्यायं वन्दे तमनुदिवसं वीरविजयम् ॥ ७ ॥ यदीया ननर्त्तेन्दु किरणसमूहातिविमला, जगत्यां सत्कीर्त्तिर्भविजनहृदानन्दकरणी । X---XXXXX गुणाम्भोधिं विद्यालयममृतवाचं मुनिपतिमुपाध्यायं वन्दे तमनुदिवसं वीरविजयम् ॥ ८ ॥ "" B " अमरविजयपादाम्भोजभृङ्गायमान तुरविजय एतत् पौषकृष्णस्य षट्याम् । रसमुनिनिधि चन्द्रे ( १९७६ ) ऽब्देऽष्टकं वैक्रमीये, दिनकरदिवसे सद्भक्तिरागाच्चकार ॥ ९ ॥ ," (0.100 Yo Yo (······•); *(*****).·.(*···1)); Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat (ones00 ······XX) ********.....XX......XXXXXXXXXXXX••••••XX•••••XX••••••** XXXXXXXXXXXCXXXXC••••XXX www.umaragyanbhandar.com

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