Book Title: Mat Mimansa Part 01
Author(s): Vijaykamalsuri, Labdhivijay
Publisher: Mahavir Jain Sabha
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उपाध्याय - श्रीमद्-वीरविजयमुनिपुंगव —
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गुणस्तुत्यष्टकम् ।
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शिखरिणीवृत्तम्
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भवोदन्वन्मज्जद्भविजनतते रक्षणकृते, श्रियोपेतं जन्माश्रयत विबुधासेव्यचरणः ।
गजाभ्रङ्केन्द्रद्वे(१९०८) हरिखि मुनिर्यः क्षितितल, उपाध्यायं वन्दे तमनुदिवसं वीरविजयम् ॥ १ ॥
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यदीयं सौभाग्यं शुभमकथनीयं च वचसा, यदीयं वैराग्यं त्रिभुवनजनाश्चर्यजनकम् । यदीयं सद्भाग्यं भवजलधिनिस्तारचतुरमुपाध्यायं वन्दे तमनुदिवसं वरिविजयम् ॥ २॥ गृहं कारागारं मनसि युवतिं बन्धनमिव, विभाव्याशु त्यक्त्वा कनकनिकरं लोष्ठमिव यः ।
व्रतं लेाऽग्न्यशशि (१९३५) शरदि प्रोज्ज्वलतपा, उपाध्यायं वन्दे तमनुदिवसं वीरविजयम् ॥ ३ ॥
कलाकेलिस्थानं सुमतिनिलयं क्षान्तिसदनं,
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