Book Title: Mahavira ka Antsthal
Author(s): Satyabhakta Swami
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 10
________________ अन्तस्तल की साधना . महावीर के अन्तस्तल को लिपिबद्ध करनेवाले महान सत्पुरुष ने वर्द्धमान स्वामी के जीवनचरित्र और संदेशों पर मनन करते समय इतना प्रवल परिश्रम किया है, जितना संसार के किसी वैज्ञानिक आविष्कार करनेवाले व्यक्ति ने शायद ही किया हो। मेरा विश्वास है कि आज तक किसी भी धर्म के संस्थापक और उसके नाम से प्रचलित शास्त्रों पर इतना दम, मौलिक और तथ्यपूर्ण विवेचन नहीं हुआ। इस ग्रन्थ को लिखते समय, सुनाते समय लेखक ने आँसुओं की धाराओं से अपने आसपास के वातावरण को विचारों के रस से परिप्लावित कर दिया है । जिस जिसने महावीर के अन्तस्तल का महाभिनिप्क्रमण अध्याय पढ़ा है उस उसकी छाती कठोर से कठोर हो तो भी कोमल बनकर निचुड़े विना नहीं रही है। महापुरुषों के दिलको समझने के लिये महापुरुष ही चाहिये । सचमुच महावीर के अन्तस्तल को लिखते समय स्वामी सत्यभक्तजी स्वयं महावीरमय होगये हैं। हमारा कोटि कोटि वन्दन । बार्शी (सोलापुर) सूरजचन्द सत्यप्रेमी

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