Book Title: Mahavira Charitam
Author(s): Gunchandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 629
________________ RORS श्रीगुणचंद पक्खित्तो, ता तदणुरोहों चेव एयस्स अवरज्झइ, एवं निसामिऊण नराहिवेण तंबोलाइदाणेण सम्माणिऊण तृतीयेऽणुमहावीरच पेसिओ सगिह, इयरे पुण दुक्खमारेण मारियत्ति। बते वसु८ प्रस्ताव | इओ य मुणिसमुचियविहारेण भवियपडिवोहमायरंता अप्पडिवद्धावि जिणाणाए पडिबद्धा दुरणुचरतवचरण- दत्त ॥३०३॥ पजालियकम्मवणावि सबसत्तसुहकारया समोसढा विजयसिंहाभिहाणा सूरिणो, जाया य तियचउक्कचचरेसु हरि-12 सभरनिन्भरस्स जणस्स अवरोप्परमुल्लावा अहो! अहो ! अगाहभवोहनिवडतजन्तुगणजाणवत्ता सिवसुहपसाहणासत्ता 8 भयवंतो सुग्गहियनामधेजा सूरिणो इह समोसरिया, तहाविहाणं नामसवणमेतंषि पावपन्भारपणासणसमत्थं, किं पुण बंदणनमंसणं ?, अओ गच्छामो देवाणुप्पिया! तेसिं बंदणत्थं, एवं च सोचा गंतुं पयत्ता सूरिसमीवे। 18/ नायरया । सो य वसुदत्तो राइणा पेसिओ समाणो गओ निययगेहे, कहिओ जणणिजणगाण पुववइयरो जहा तुम्ह15 कूडवच्छल्लेण अहं अज अकयधम्मो चेव विणासिओ होतो, ता कीस सिणेहवच्छलेण अणत्थपत्यारीए संखिवह |जं न मुयह धम्मकरणायत्ति वुत्ते अणुन्नाओ सो जणणिजणगेहि, गो सूरिणो पासे, गहिया पवजा, तो एग-1 तधम्मकम्मुजओ जाओति। 8 इय इंदभूइ गोयम ! विमुक्कचोरिकपावठाणाणं । मणुयाण उभयलोगेऽवि जीवियं जायएं सफलं ॥१॥ इइ तईयमणुवयं । । ।३०३ ॥ कहियं तइयमणुवयमेत्तो मेहुणनिवित्तिनिष्फण्णं । भण्णइ चउत्थमणुवयमवहियचित्तो निसामेसु ॥ १॥ -

Loading...

Page Navigation
1 ... 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708