Book Title: Mahavira Charitam
Author(s): Gunchandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
RSS
RSS-5405-061-99552073
तिन्निवि गुणवयाई, पार्लिति य सबजत्तेण। अन्नया य रविमाहणस्स भोयणं कुणमाणस्स उवरिद्वियघरकोइलगेण कओ 8| उच्चारो, पक्खित्तचित्तत्तणो न मुणिओ अणेण, तम्मिसभोयणकरणे य पवडियं से उयरं, खीणाई मंससोणियाई,
तणुईहयाओ वाहाओ, सुक्काओ जंघाओ, सुसियं वयणं, वड्डिया तण्हा, जाओ सावसेसाउओ, दंसिओ य पालएण विजाणं, तेहिवि असल्झोत्तिकाऊण पञ्चक्खाओ एसो, एवं च विसमदसावडियं तं पलोइऊण झूरइ परियणो,ता रोवइ भारिया, बहुप्पयाई विलवइ पालगो, सो य अदीणमाणसो सम्ममहियासेइ, अन्नवासरे व समागओ एगो देसंतरविजो, तस्स सयणवग्गेण दंसिओ रवी, तेणावि संमं पलोइऊण भणियं-अहो कुडुधिरोलियापुरीससंभयो । हा एस दोसो, ता पंचुंबरिफलाई समभागाइं चित्तगरोज्झमंससंमीसियाई सुराए बहिऊण देह जेण सिग्धं पसमा !
महोदरवाही, रविणा भणियं-भो भो वेजा! भोयणओ बीयगुणबयपरिमाणं कुणतेण पञ्चक्खायं मए एयं, वेजो। सयणवग्गो य भणइ-पगुणीभूयसरीरो सोहिं करेजासु, तेण कहियं-जराघुणजजरियविसरारुसरीरपंजरासारय । जाणतो नाहं मरणेवि एयमायरामि, एवं च उज्झिओ वेजेण। अन्नंमि य वासरे जाव सो निसन्नो एगंतदेसे अच्छा ताव पेच्छइ वसहमुत्तमझे निवडियं घरकोइलगं, तक्षणं चिय विणस्संतं च पेच्छिऊण चिंतियमणेण-अहो जहा । एयं कोइलगविणाससमत्थं तहा तं दुटुं विसविगारमवि हणिउमलं, तम्हा जुजइ मज्झ एयं पाउंति परिभाविऊण || सुमुहुत्ते णमोकारसुमरणपुरस्सरं वसहमुत्तं पीयमगेण, अह धम्मपभावणं वेयणियखओवसमजोगा ओसह

Page Navigation
1 ... 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708