Book Title: Mahavira Charitam
Author(s): Gunchandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 663
________________ SC-30 - गुणचंद इओ य कुसग्गपुरे नयरे अरिमदणो नाम राया, तस्स य पयईए चिय दयादाखिन्नविवेयसचविसिद्वबुद्धिसंगो अनदंडे हावीरच० सुमई नाम अमचो, तेण य राइणा कारावियं महंतं सरोवरं, आरोविओ पालीसु विचित्ततरुसमूहो, चउयुवि पासेसु हा कोरष्टकप्रस्तावः । कयाओ अणाहसालाओ, निरूवियाई अवारियसत्ताई, तस्स य सरोवरस्स अचंतभरिअस्सवि विवरदोसेण कश्वयदि३२०॥ णमेत्तेणवि सुसंतं सलिलमवलोइऊण विसन्नेण जंपियं रन्ना-अहो निरत्थो दबक्खो जाओत्ति, परियणेण भणिय देव! मा संतप्पह, पूरिजउ एस सिलाईहिं विवरो, जइ पुण एवं कए न विप्पणस्सइ सलिलं, रायणा भणियं-13 एवं कीरउ, तओ तक्खणं चेव कट्ठसिलाइट्टगाहिं पूरिओ सो विवरो, जाए य बरिसयाले निवडतुहागसलिलधाराहिं भरियं सरोवरं, तं कहियं च नरेहिं नरवइणो।। ताहे तुट्ठो राया पलोयणट्ठा गओ सयं तत्थ । जावऽच्छइ खणमेगं उभिन्नो ताव सो विवरो ॥ १ ॥ पुणरवि पुवपवाहेण पाणियं तेण विवरमग्गेण । अणिवारियप्पयारं पायाले गंतुमारद्धं ॥२॥ तं दद्गुण नरिंदो सोगमहासलपीडिओ झत्ति । मंताइसत्थकुसलं पुरलोयं वाहरावेइ ॥ ३ ॥ भणइ य तुम्हे सत्थत्थपारया ता कहेह सलिलमिमं । पायाले वर्चत ठाइस्सइ केणुवाएणं? ॥ ४ ॥ परिचिंतिऊण सम्मं पयंपियं तेहिं देव ! विनाणं । नेवऽत्थि एत्थ वत्थुमि अम्ह किं साहिमो तेण? ॥ ५॥ अह नरवइणा भणियं तहावि साहह किमेत्थ काय ? । मा विफलं चिय बच्चउ सुचिरेमं वेचियं दवं. ॥६॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708