Book Title: Mahavira Charitam
Author(s): Gunchandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 661
________________ हसरवः । रूबो, कहं ? कथा. IAREAaraumar गुणचंद सालिसीसयंमि गामे भहिलो नाम माहणो, सोमदिना य से भारिया, तेसिं च कोरिटंगो नाम पुत्तो अचंतवि- अनर्थदंडे कोरण्टकमुहबाहिविणिग्गयदीहविरलदंतग्गभग्गउट्ठउडो । करहसिसुपुच्छसत्थहविष्फुट्टमुहरोमदोषेछो ॥१॥ ३१९॥ मज्जारकक्कडच्छो अइटप्परकन्नघोरजुयलिक्खो । अचंतकविलदेहो पायडदीसंतनसजालो ॥२॥ संपजंततहाविहभोयणजायंतउदरपूरोऽवि । कयमासुववासो इव अचंतं किसियसबंगो ॥३॥ 51 इय सो पुवक्कियकम्मदोसओ गाममज्झयारम्मि । दुइंसणतणेणं हीलाठाणं परं जाओ ॥ ४॥ II एयारिसे य तम्मि जोवणपत्ते जणणिजणगेहिं चिंतियं-कहं एस कलत्तभोगी भविस्सइ ?, जओ सवायरम-131 ग्गियावि न सग्गामवासिणो दिति एयस्स कन्नयंति । अन्नया दूरयरगामवासिणो बंभणस्स बडुकुमारी बहुदविणदाणपुवयं वरिया अणेहिं से निमित्तं, जाए य लग्गसमए कोरिटंग कयसिंगारचारुवेसं समादाय गयाई तत्थ, तत्थ । पारद्धो विवाहोवकमो, रइया वेइगा, पजालिओ घयमहुसणाहो हुयासणो, पइविडो वेइगामंडवंमि कोरिंगो, तक्खणं चिय दिट्ठो तीए वडकुमारीए, तं च पलोइऊण सचमक्कारं भणियमणाएI अहह किमेस पिसाओ इहागओ ? अहव रक्खसो वावि ? । किं वा कयंतपुरिसो ? नहु नहु तत्तोऽवि भीमयरो॥१॥ सहि ! पेच्छ पेच्छ कीलेव विलइओ दिवभूसणसमूहो । एयंमि पावरूवे कहमवि नेवावहइ सोहं ॥३॥ 545055-55-56556-555

Loading...

Page Navigation
1 ... 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708