Book Title: Mahavira Charitam
Author(s): Gunchandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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महावीरच० रिओ नयरलोएण
८प्रस्ताव
4
श्रीगुणचंद / माहप्पेण य जलोयरं से पसंतति, जाओ पुणन्नवंगो, जयइ जिणिंदस्स धम्मसामत्थं, इस सवत्थ पवाओ वित्था- भौगोपभो
माने रवि
पालककथा 18 सोय पालगो तन्नयरसामिणा भणिो जहा ममामचत्तणं पडिवजसु, पालगेण भणियं-देव! मए खरकम्माणं ३ ॥३१८॥ वलाहियत्तारक्खिगत्तपमुहाणं नियमो कओ, राइणा भणियं-किं कारणं ?, तेण कहियं-देव! न जुत्तमेयं सावगाणं, 14
जओ तत्थ निउत्तेहिं जणो पीडियबो, परच्छिद्दनिहालणं कायवं, नरिंदचित्तावजणपरेहिं सबप्पयारेण दवमुप्पायगिजं, तं च न जुत्तं पडिवन्नवयाणति, रन्ना भणियं-दुवाण सिक्खणे साहूण पालणे किमजुत्तं ?, पालयेण जंपियं-13 देव! को एवं मुणइ-एस दुट्ठो एसो साहुत्ति,जओ अवराहस्स कारीवि अत्तणो साहुत्तणमेव पगासेइ, न य अपडिवन-81 दोसो विणासिउं पारियइ, कयाइ पिसुणोवणीओ साहू वि परिहम्मइ, तम्हा अइसयनाणसझं दुनिग्गहसिट्ठपालणं, अणइसइणा कीरत विवजासंपि जाएजा, एवं च भणिए पयंडसासणतणओ रुटो राया भणिउमाढत्तो य-अरे | भणाहम ! वेयपुराणपइट्ठियं बंभणत्तं परिहरिय धम्मतरं कुणमाणो मूलाओ चिय निग्गहट्ठाणं तुमं विसेसओ 151 इयाणिं ममाऽऽणालोवपयट्टो, ता न भवसि संपयंति भणिऊण आणत्तो वज्झो, नीओ मसाणभूमीए, समारोविउ-4॥३१८ ॥ मारद्धो सूलाए, एत्यंतरे तप्पएसोवगएण दिट्ठो वाणमंतरेण, दढधम्मोत्ति जायाणुकंपेणं तेण सूलाठाणे कयं कण-10 यसिंहासणं, तेहि य रायपुरिसेहिं पहओ खग्गपहारेहि, देवप्पभावेण य पहारहाणेसु समुट्ठियाणि गेवैयपमुहाणि
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SRESS

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