Book Title: Mahavira Charitam
Author(s): Gunchandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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महावीरचा
॥३२३॥
श्रीगुणचंद 8 इय जह सामाइयनिचलत्तणं कामदेवसड्ढेणं । भवभयभीएण कयं अन्नेणवि तह विहेयचं ॥ १६ ॥
देशावका
शिक सागदिसिवयगहियस्स दिसापरिमाणस्सेह पइदिणं जं तु । गमणपरिमाणकरणं बीयं सिक्खावयं एयं ॥ १ ॥ ८ प्रस्तावः ||
वजइ इह आणयणप्पओगपेसप्पओगयं चेव । सहाणुरूववायं तह बहिया पोग्गलक्खेवं ॥२॥ इहलोयंमिवि पइदिण दिसपरिमाणमि कीरमाणमि । उभएवि नो अणत्था सागरदत्तस्स व हर्वति ॥ ३॥
गोयमसामिणा भणियं-जयगुरु! को एस सागरदत्तो ? कहं वा तस्स दिसिवयपरिमाणसेवणे इहपारभविया-1 Sणत्थप्पणासो जाओत्ति साहेसु, महंतमिह कोऊहलं, भगवया जंपियं-परिकहेमि, पाडलिसंडे नयरे धणसारस्स है।
इन्भस्स सुओ सागरदत्तो नाम, सो य असेसवसणसयसंपरिग्गहिओ दुल्ललियगोष्ठीए परिगओ, तेहि तेहिं पयारेहिं । Bादवविणासमायरइ, अन्नया य विणटुंमि दवसारे गओ सो देसंतरेसु, पारद्धा य बहवे दविणोवजणोवाया, समासाद इयाई कइयवि दीणारसयाई, तेहिंवि गहिऊण किंपि भंडं गओ सिंधुदेसं, विणिवट्टियं तं च, उद्विो बहुलाभो,51 जाओ से परितोसो, चिंतिउमारद्धो य-अहो किं इमिणा अत्थेण ? जो नियसुहियसयणबग्गस्स न जाइ विणि
ओगं?, ता गच्छामि निययनयरं, पेच्छामि जणगं, समप्पेमि तस्स अत्थसंचयं, दुप्पडियारो खु सो महाणुभावो,M॥ ३२३॥ विविहाणत्थसत्थेहिं मए संताविओ य इति परिभाविऊण गहियपवरजचतुरंगमो पयट्टो पाइलिसंडपुराभिमुहं, अविच्छिन्नपयाणएहिं इंतस्स अद्धपहेचिय जाओ वासारत्तो, अणिवारियपसरा निवडिया सलिलबुट्टी, पचूढा गिरि-हा
SSSONSTRESS
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