Book Title: Mahavira Charitam
Author(s): Gunchandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
SALES
८प्रस्ताव
---
॥३१६॥
-
श्रीगणचंद हा कइवि दिवसाणि अच्छइ ताव अन्नदिवस सा नरिंदमज्जा मयणमंजूसा वासभवणमि सुहपसुत्ता खइया विसहरेण, दिपरिरच० तक्खणेण य निचिट्ठा जाया, समाऊलीहूओ विक्कमसेणो राया, वाहराविया गारुडिया, पत्ता तेहिं मंतततोवयारा, माथे जिन भनय जाओ कोऽवि विसेसो, तो पञ्चक्खाया तेहिं, नरिंदेणवि गाढनेहमोहिएण नीणाविओ पडहगो, उग्घोसावियं पालतज्ञात
च, जहा-जो देविं उठावेइ तस्स अद्धं गामनगरसमिद्धस्स रजस्स देमित्ति, इमं च पडहगताडणपुवयं उग्घोसिज-81 माणं सुणियं जिणपालिएण, तओ निवारिओ-अणेण पडहगो, देवसमप्पियरयणं गहाय गणो नरिंदमंदिरं, रयणाभिसेगसलिलपाणविहिणा विगयविसविगारा कया देवी, सुत्तपबुद्धव समुट्ठिया सयणीयाओ, तुटो राया, दाउमारदो || य रजद्धं, जिणपालिएण जहोचियं घेत्तूण सेस पडिसिद्धं, रायावि से निल्लोभयं दद्दूण पडिबुद्धो देवीए समं सावगो / जाओ, जिणपालिओऽवि संपुन्नधणवित्थारो चेइयसाहुपूयारओ सम्ममुभयलोगसफलं जीवियं काऊण मओ समाणो परंपराए मोक्खसोक्खभागी जाओत्ति ॥ इय गोयम ! दिसिवयपालणाए अइयारपंकमुक्काए। हुँति विसिद्वसुहकरा गुणनिवहा इहपरभवेसु ॥ १॥ भोगपरिभोगपरिमाणकरणमेत्तो गुणवयं वीयं । तं भोयणओ तह कम्मओ य दुविहं सुणेअचं ॥ १ ॥ भोयणओ पडिवन्ने इममि वजेजऽणंतकायाई । पंचुवरि महुमेरयं च रयणीयभत्तं च ॥ २॥ सचित्तं पडिबद्धं अपउलदुप्पउल तुच्छभक्खणयं । भोअणओ अइयारा वज्जेयवा इमे पंच ॥ ३॥
50009446
-
-
-

Page Navigation
1 ... 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708