Book Title: Mahavira Charitam
Author(s): Gunchandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 633
________________ चतुर्थाणु श्रीगुणचंद महावीरच० ८प्रस्ताव दत्तकथा. ॥३०५॥ 968996095 परिचायपरिणामो, पडिवन्नं रना, वाहराविओ कुमारो, तेण य समेओ गओ धम्मसेणसूरिणो समीवे, तं च दिऊण निसन्नो उचियट्ठाणंभि, सूरिणाऽवि पारद्धा धम्मकहा ॥ कह? भो भो देवाणुपिया! जइ वंछह सिवसुहाई उवलढुं । ता मोत्तूण पमायं जिणिदधम्ममि उज्जमह ॥१॥ तं नो कुणंति अहिमरविसहरहरिणारिवेरिवायाला । अचंतं कुलियाविहु जमिह पमाओ महापावो ॥२॥ सो पुण पंचवियप्पो नेयचो निबुईपरिहरूवो । मइरा-कसाय-निदा-विगहा-विसयाण गहणेण ॥ ३॥ मइरापाणपरत्वसमणपसरो जुत्तमियरममुणतो । तं नत्थि नूण पावं जं जीवो नो समायरइ ॥ ४ ॥ एत्तो चिय सुरकयकणयपवरपागारगोउरावि पुरी । बारवई जायवसंकुलावि मचुंमुहं पत्ता ॥५॥ पज्जंतकयविसाया महापिसाया व दिन्नअववाया । जणियदुरज्झवसाया न होति सुहया कसायावि ॥६॥ एएहिं निहयमइणो जं जीवा चरियदुक्करतवावि । करडुकुरुडुब सत्तमनस्यपुढवीए निवडंति ॥ ७॥ निदापमत्तचित्तावि पाणिणो पाउणंति न कयावि । सुयनाणधणं पत्तंपि कहिँवि हारिति धीरहिया ॥८॥ तेणं चिय चउदसपुषिणोऽवि निन्नद्रुपवरसुयरयणा । मरिउँ कालमणंतं अणंतकाएसुवि वसति ॥ ९॥ मोत्तूण निययकिचं भोयणदेसित्थिरायसंवद्धा । कीरति जेहिं विकहा कह नो ते दुक्खिया होंति ? ॥ १०॥ - कहवा न बालिसेणवि अञ्चग्गलजंपिरत्ति गहिलत्ति । कित्तिजंती? मणुयत्तणेऽवि को वा गुणो तेसिं १ ॥ ११ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708