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मदनपराजय और श्रुतज्ञान तथा मन:पर्ययज्ञान भी अपने साथफे अन्य दो राजामोंके साथ आकर उपस्थित हो गये ।
साथ ही तोन राजामोंसे युक्त अवधिज्ञान-नरेग भी अपने स्वामी को सहायताके लिए सेनामें प्रा मिला। यह नरेश अत्यन्त शूरवीर था और जिनेन्द्रको सैन्यका तिलक प्रतीत होता था।
इसके १ मोहतो र मिशिने हिए जहान् शूरवीर और दुर्जय केवलज्ञान-भूपति भी आकर उपस्थित हो गया। तथा
धर्मध्यान-नरेशके साथ निर्वेद-राजा प्रा मिला और शुक्लध्यान-राजाके साथ बलवान् उपशम-नरेश भी प्रा पहुंचा।
और एक हजार आठ राजामोंके साथ लक्षण नरेश और अठारह हजार राजाओंके साथ शील-नरेश भी भाकर मिल गया।
तथा पांच राजानोंके साथ निग्रन्थ-राजा भी पाकर उपस्थित हो गया और वैरि-कुलके विनाश करनेवाले दो गुण-नरेश भी प्राकर संमिलित हो गये।
___ इसके पश्चात् सम्यक्त्व-राजा भो जिनेन्द्रकी सेनामें पाकर मिल गया। यह नरेश शत्रुरूपी हाथोके लिए सिंहके समान भयंकर था और इसे इन्द्र, विद्याधर, ब्रह्मा, महादेव, सूर्य और चन्द्र आदि समस्त देव स्वयं नमस्कार करते थे। साथ ही रतिपति के संहारके लिए यह प्रमुख साधन था।
इस प्रकार जिनेन्द्रकी सेनामें जब असंख्य क्षत्रिय-वीर सामन्त पाकर संमिलिस हो गये तो जिनराजकी सेना अत्यन्त सुशोभित हो उठी। उस समय दुर्धर उन्नत, दुअंय और सशक्त जीवके स्वाभाविक गुणरूपी प्रश्वोंके खुराघातसे जो धूलि उठी उससे प्राकाश-मण्डल बाग्छन्न हो गया। चार प्रमाण पीर सप्तभंगीरूप महान् गजोंके चीत्कारके सुननेसे दिग्गजोंको भी भय होने लमा। चौरासी लक्षणरूप