Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University

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Page 7
________________ पड़ोसन डॉ0 निशा श्रीवास्तव का भी आभारी हूँ जिनके रोज-रोज के तकाजे ने इस शोध-प्रबन्ध के जल्दी पूरा होने में कहीं न कहीं सहयोगी जरूर रहा है। अपनी ममतामयी माँ श्री मती मोहरमनि सिंह का वात्सल्य युक्त स्नेहिल प्यार हमारे शोध-कार्य में प्रेरणा-स्रोत का कार्य किया है। अपने अग्रज सर्व श्री शिवपूजन सिंह, शत्रुध्न सिंह एवं प्रमोद सिंह एवं तीनों भाभियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना महज औपाचारिकता होगी, जिसके लिए मेरा अंर्तमन् गवाही नहीं दे रहा है। मेरे पिता स्व0 श्री रामधारी सिंह के असामयिक निधन के बाद मेरे अग्रज भाइयों ने न सिर्फ मुझे पिता-तुल्यसंरक्षण दिया अपितु उनके द्वारा दिया गया प्रोत्साहन और प्रयाग के इस लम्बें प्रवास के दौरान अनवरत दी गयी आर्थिक सुरक्षा ने मुझे मानसिक रूप से तनाव मुक्त रखा, जिसके कारण ही यह शोध-प्रबन्ध पूरा हो सका। परिवार के अन्य सदस्यों के साथ-साथ आभारी हूँ अपने अग्रज श्री शत्रुघ्न सिंह के समस्त सहकर्मियों का भी जिनका प्रोत्साहन मुझे बराबर मिलता रहा। मैं अपनी जीवन-संगिनी श्री मती अरूणिमा सिंह एवं उनके पितृ-गृह के सभी जनों के प्रति विशेष आभार व्यक्त करना चाहूँगा, जिन्होनें न केवल इस शोध-प्रबन्ध को पूरा करने के लिए निरन्तर प्रोत्साहित किया अपितु मुझे कई पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी मुक्त रखा। मैं राजेन्द्रा कम्प्युटर सेन्टर के 'समीर' का भी आभारी हूँ जिनके सहयोग-पूर्ण व्यवहार ने इस शोध-प्रबन्ध को तैयार करने में काफी मदद की है। इस शोध-प्रबन्ध के लिए अध्ययन सामग्री मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय और हिन्दी साहित्य सम्मेलन एवं इलाहाबाद संग्रहालय से भी प्राप्त की है। इसलिए मैं इन संस्थाओं के कर्मचारियों को धन्यवाद देना चाहूँगा। बस इतना ही। दिनांक 15.8.2002 प्रवेश कुमार सिंह

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