Book Title: Kumarpal Charita
Author(s): Shankar Pandurang Pandit
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 670
________________ ६२० हेमचन्द्राचार्यविरचितं [४.४१९सममः समाणुः । कन्तु जु सीहहों उवमिअइ तं महु खण्डिउ माणु । सीहु निरक्खय गय हणई पिउ पय-रक्ख-समाणु ॥ २॥ ध्रुवमो ध्रुवुः । चर्चालु जीविउ ध्रुवु मरणु पिों रूसिजई काइं । होसहि दिअहा रूसणा दिव्वइँ वरिस-सयाइं ॥ ३ ॥ मो में । मं धणि करहि विसाउ [३८५. १] ॥ प्रायोग्रहणात् । माणि पंगट्टइ जइ न तणु तो देसडा चइज । मा दुजण-कर-पल्लवेंहिं दंसिजन्तु भमिज ॥ ४ ॥ लोणु विलिज्जइ पाणिऍणे अरि खल मेह म गजें ॥ वालिउ गलई सु झुम्पडा गोरी तिम्मइ अज्जु ॥ ५॥ मनाको मोउं । विहवि पण?इ वडउ रिद्धिहिँ जैण-सामन्नु । किं पि मउं महु पिअहो ससि अणुहरइ न अन्नु ॥ ६ ॥ . किलाथवा-दिवा-सह-नहेः किराहवइ दिवे सहुँ नाहिं॥४१९॥ अपभ्रंशे किलादीनां किरादय आदेशा भवन्ति ।। किलस्य किरः । किर खाइ न पिअँइ न विद्दवइ धम्मि न वेच्चई रूअडउ । इह किवेणु न जाणइ जह जेमहो खणॆण पहुच्चइ दूअडउ ॥१॥ अथवोहवइ । अहवइ न सुवंसह. एह खोडि ।। प्रायोधिकारात् । जाइजइ तहिं देसडइ लब्भइ पियहाँ पमाणु । जइ आवइ तो आणिअइ अहवा तं जि निवाणु ।। २ ॥ दिवो दिवे । दिविदिवि गङ्गा-हाणु ॥ [३९९. १] १ A समाणु. २ B ज्जु. ३ B°अइं. ४ P? क्खइ. ५ B हणइं. ६ B चंचल, ७ B पिइ. ८ A रूसीजइ. ९ B कांइं. १० P होसइ. ११ B माम. १२ B करहिं विसाउं.१३ B पइटइ. १४ Bत्तणु. १५P चएज.१६ P °विहे. १७ BP भमेज. १८ B लोण.१९ Pपाणिएं. २०P अरे.२१ A गजे. २२ A°इ झुपडइ गो .२३ B मणाउ.२४ P जणु. २५P साहुँ. २६ Bपीअइ. २७ Bवेचरू. २८ Bकिविणु.२९ B°होथख° ३० P खणे प°. ३१ B सह. ३२ B आणीइ. ३३ P B दिवेदिवे.

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