Book Title: Krudantavali
Author(s): Ajitchandrasagar
Publisher: Agamoddharak Pratishthan

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Page 20
________________ मार्थ | उत्वर्थ . सं. (sri) सं.भू.. (य) १४ जीव्यताम् जीवितुम् । जीवित्वा संजीव्य - १५/त्यज्यताम् | त्यक्तुम् । त्यक्त्वा संत्यज्य - १६ क्षर्यताम् |क्षरितुम् क्षरित्वा संक्षर्य १७/ क्रीड्यताम् क्रीडितुम् क्रीडित्वा । | प्रकीड्य ૧૮| जप्यताम् |जपितुम् जपित्वा संजप्य १८ जिम्यताम् जेमितुम् जेमित्वा निजिम्य निन्दित्वा विनिन्द्य २०| निन्द्यताम् | निन्दितुम् २१ वृष्यताम् वर्षितुम् | वर्षित्वा |संवृष्य २२ शुच्यताम् शोचितुम् शोचित्वा | विशुच्य २३ जीयताम् जेतुम् जित्वा विजित्य २४| तीर्यताम् तरितुम्,तरीतुम तीर्वा उत्तीर्य ૨૫| धाव्यताम् | धावितुम् प्रधाव्य धावित्वा भूत्वा सृत्वा २६ भूयताम् भवितुम् २७ स्रियताम् | सर्तुम् । सम्भूय प्रसृत्य Jain Education International 2500 Pobrate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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