Book Title: Krudantavali
Author(s): Ajitchandrasagar
Publisher: Agamoddharak Pratishthan

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Page 72
________________ - 1 विध्यर्थ हन्त ॐभ तव्य अनीय । य । अन (अनट् १33 | वेदितव्य | वेदनीय वेद्य । वेदन १३४/ दीपितव्य दीपनीय । दीप्य । दीपन १३५ श्लाघितव्य | श्लाघनीय श्लाघ्य श्लाघन १३६ | फलितव्य फलनीय फाल्य । फलन १३७| योक्तव्य योजनीय योग्य योजन १३८ लवितव्य लङ्घनीय लय लकन १3८ मानयितव्य | माननीय मान्य मानन ૧૪૦ | लोकितव्य । | लोकनीय लोक्य लोकन लोकयितव्य १४१ | सत्तव्य साद्य सदन १४२/ हसितव्य हसनीय हास्य हसन १४३/ पराजेतव्य पराजयनीय पराजेय पराजयन १४४ विजेतव्य विजयनीय | विजेय | विजयन १४५ प्रस्थातव्य प्रस्थानीय | प्रस्थेय | प्रस्थान १४६ विरन्तव्य विरमणीय विरम्य विरमण १४७/ भवितव्य | भवनीय भव्य भवन १४८ प्रवेष्टव्य प्रवेशनीय | प्रवेश्य | प्रवेशन - - - - ६० - Jain Education International 2500 Pobrate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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