Book Title: Krudantavali
Author(s): Ajitchandrasagar
Publisher: Agamoddharak Pratishthan
View full book text
________________
-
-
ॐ शार्थ | इत्वर्थ . सं.भू.(stal)| सं.भू.. (य) १33 विद्यताम् | वेत्तुम् वित्त्वा प्रविद्य १३४/ दीप्यताम् दीपितुम् दीपित्वा प्रदीप्य १३५ श्लाघ्यताम् श्लाघितुम् । श्लाघित्वा | संश्लाघ्य १३६ फल्यताम् | फलितुम् । | फलित्वा निष्फल्य १३७ युज्यताम् । योक्तुम् युक्त्वा
| प्रयुज्य १३८ लझ्यताम् लचितुम् | लङ्कित्वा । अवलय १3८ मान्यताम् मानयितुम् मानयित्वा अवमान्य १४० लोक्यताम् लोकितुम् लोकित्वा अवलोक्य
लोकयितुम् | लोकयित्वा १४१ सद्यताम् सत्तुम् । सत्त्वा प्रसद्य १४२ हस्यताम् | हसितुम् हसित्वा प्रहस्य १४३/ पराजीयताम् पराजेतुम् पराजित्वा पराजित्य १४४/ विजीयताम् | विजेतुम्
विजित्य १४५/प्रस्थीयताम् प्रस्थातुम्
प्रस्थाय १४६ विरम्यताम् | विरन्तुम्
विरम्य १४७| भूयताम् | भवितुम् भूत्वा
सम्भूय १४८ प्रविश्यताम् प्रवेष्टुम् - प्रविश्य
-
-
-
+
-
-
-
-
-
५८
Jain Education International 2500 Pobrate & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100