Book Title: Krudantavali
Author(s): Ajitchandrasagar
Publisher: Agamoddharak Pratishthan

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ ક્રમ ૦૧ ૧૨ 13 દ ७७ प्रष्टव्य ७४ वन्दितव्य પ वर्धितव्य ०८ ૭૯ ८० तव्य ૮૨ शमितव्य एषितव्य एष्टव्य ૮૩ पक्तव्य हर्तव्य डयितव्य भाषितव्य ૮૧ लब्धव्य वर्तितव्य शोभितव्य रन्तव्य વિધ્યર્થ કૃદન્ત अनीय शमनीय एषणीय प्रच्छनीय वन्दनीय वर्धनीय पचनीय हरणीय sयनीय भाषणीय रमणीय लभनीय वर्तनीय शोभनीय य (अन (अनट्) शम्य शमन एष्य एषण प्रच्छ्य प्रच्छन वन्द्य वन्दन वृध्य वर्धन पाच्य पचन हार्य डेय रम्य हरण डयन भाष्य भाषण रमण लभ्य लभन वृत्य वर्तन शुभ्य शोभन ૩૫ Jain Education International 2560 Povate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100