Book Title: Krudantavali
Author(s): Ajitchandrasagar
Publisher: Agamoddharak Pratishthan

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Page 48
________________ ક્રમ ધાતુ | ગુણ-પદ અર્થ ८४ | स्वाद् | १. आ. ८५ सेव् | १. खा. ८६ नी १.. सर्व ४धुं, | દોરવું ८७ याच् १.. याययुं, માંગવું ८८ राज् १. छीपयुं, શોભવું ८८ वह् याजयुं, जावु सेवयुं, સેવા કરવી 4.G. ८१ सिच् ६. (सिञ्च) ८२ जन् (जा) ९० मुच् ६. . भुडवु (मुञ्च) છોડવું ८३ युध् વહન કરવું, વહેવું सिंययुं, છાટવું ४. खा. ४न्म, ४न्म थवो, ઉત્પન્ન થવું ४. खा. युध्ध २ કર્તરિ - 7 वतं. अज | ह्य. लू. अण स्वादते अस्वादत सेवते असेवत नयति | नयते याचति याचते राजति राजते वहति वहते मुञ्चति मुञ्चते सिञ्चति सिञ्चते जायते युध्यते अनयत् अनयत अयाचत् अयाचत अराजत् अराजत अवहत् अवहत अमुञ्चत् अमुञ्चत असिञ्चत् असिञ्चत अजायत अयुध्यत ૩૬ Jain Education International 2560 Povate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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