Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 16
________________ विषय पृष्ठ ४६४-५२४ उच्चारणाके अनुसार उत्कृष्ट सन्निकर्ष ४८५ - ४६४ जघन्य सन्निकर्ष मिथ्यात्वकी जघन्य स्थितिका आलम्बन लेकर सन्निकर्ष विचार शेष प्रकृतियोंकी जघन्य स्थितिका लम्बन लेकर सन्निकर्ष विचार उच्चारणा के अनुसार जघन्य सन्निकर्ष ४६५ - ५२४ ૪૫ ५२४-५४४ ५२४-५४२ ५२४-५२५ પૂ૫ ५२४ -५३० | चिरन्तन व्याख्यानाचार्य के द्वारा निर्दिष्ट अल्पबहुत्व ५.२५. दोनों अल्पबहुत्वों में मतभेदका उल्लेख ५२५-५२६ |तिर्यञ्चगतिमें उक्त दोनों अल्पबहुत्वों की अपेक्षा पुनः विचार ५३५ जीव अल्पबहुत्व उत्कृष्ट जीव अल्पबहुत्व जवन्य जीव अल्पबहुत्व अल्पबहुत्व स्थिति अल्पबहुत्व उत्कृष्ट स्थिति अल्पबहुत्व नौ नोकषाय सोलह कषाय सम्यग्मिथ्यात्व सम्यक्त्व चूणसूत्र और उच्चारणाका आलम्बन लेकर कालप्रधान और निषेकप्रधान स्थितिका उदाहरण सहित निर्देश मिथ्यात्व ( १३ ) Jain Education International ४६४ विषय नरकगतिमें सब प्रकृतियों के अल्पबहुत्व का विचार उच्चारणा के अनुसार उत्कृष्ट स्थिति ५२५-५२६ ५२६ अल्पबहुत्व उच्चारणा के अनुसार जघन्य स्थिति अल्पबहुत्व उच्चारणा के अनुसार बन्धक कालकी अपेक्षा संदृष्टि सहित सब शुद्धि पृष्ठ २२७ के मूलकी ७ वीं पंक्ति इस पृष्ठकी प्रथम पंक्ति है । 8GHCB+ पृष्ठ For Private & Personal Use Only ५२६-५२७ प्रकृतियोंके अल्पबहुत्वका निर्देश ५३१-५३२ ५३२-५३३ ५२८-५३० ५३० - ५४२ ५.३३ ५४२-५४४ ५४२-५४३ ५४३-५४४ www.jainelibrary.org

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