Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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हडेत्ति पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा गय० गाहा ॥३१॥ जं रयणिं चणं समणे भगवं महावीरे देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ तिसलाए खत्तिआणीए वासि
सगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरिए, तं रयणिं च णं सा तिसला खत्तिआणी तंसि ।। तारिसगंसि वासघरंसि अभितरओ सचित्तकम्मे बाहिरओ दूमिअघट्टमद्वे विचित्तउल्लो-15 अचिल्लियतले मणिरयणपणासिअंधयारेबहुसमसुविभत्तभूमिभागेपंचवन्नसरससुरभिमुक्क-15 पुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडझंतधूवमघमघंतगंधुडुयाभिरामे सुगं-6 धवरगंधिए गंधवट्टिभूए तंसि तारिसगंसि सयणिजंसि सालिंगणवट्टिए उभओ बिब्बोअणे उभओ उन्नए मझे णयगंभीरे गंगापुलिणवालुअउद्दालसालिसए ओअविअख़ोमिअदुगुल्लपट्टपडिच्छन्ने, सुविरइअरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे आईणगरूयबूरनवणीअतूलतुल्लफासे सुगंधवरकुसुमचुन्नसयणोवयारकलिए, पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि सुत्तजागरा है।
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