Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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कल्पणं भ० पंच सया विउलमईणं अड्डाइजेसु दीवेसु दोसु अ समुद्देसु सन्नीणं पंचिंदियाणं । बारसो ॥३६॥ पजत्तगाणं मणोगए भावे जाणमाणाणं उक्कोसिआ विउलमईणं संपया हुत्था ॥ १४१॥
समणस्स णं भ० चत्तारि सया वाईणं सदेवमणुआसुराए परिसाए वाए अपराजियाणं है उक्कोसिया वाइसंपया हुत्था ॥ १४२॥ समणस्स णं भगवओ० सत्त अंतेवासिसयाइं है सिद्धाइं जाव सबदुक्खप्पहीणाई, चउद्दस अजियासयाइं सिद्धाइं॥१४३॥ समणस्स णं भग० अट्ट सया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं ठिइकल्लाणाणं आगमेसिभदाणं उक्कोसिआ अणुत्तरोववाइयाणं संपया हुत्था ॥ १४४॥ समणस्स भ० दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतगडभूमी य, परियायंतगडभूमी य, जाव तच्चाओ पुरिसजु-२ गाओ जुगंत०, चउवासपरियाए अंतमकासी ॥ १४५॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं । समणे भगवं महावीरे तीसं वासाइं अगारवासमझे वसित्ता साइरेगाइं दुवालस वा-2
ॐSE
Gr॥३६॥

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