Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 97
________________ दियाणं जाव आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं जाव आरोग्गा आरोग्गं दारयं ।। पयाया॥२०८॥तं चेव सवं-जाव देवा देवीओ य वसुहारवासं वासिंसु, सेसं तहेव ।। चारगसोहणं माणुम्माणवड्डणं-उस्सुक्कमाइयट्ठिइवडिययवजं सवं भाणिअवं ॥२०९॥६ उसमे णं अरहा कोसलिए कासवगुत्ते णं, तस्स णं पंच नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा-उसमे इवा, पढमराया इ वा, पढमभिक्खायरे इ वा, पढमजिणे इ वा, पढमतित्थयरे इ वा ॥२१० ॥ उसमे णं अरहा कोसलिए दफ्खे दक्खपइण्णे पडिरूवे अल्लीणे है। भद्दए विणीए वीसं पुत्वसयसहस्साइं कुमारवासमझे वसइ, वसित्ता तेवढेि पुवसय-* सहस्साइं रजवासमझे वसइ, तेवढेि च पुवसयसहस्साइं रजवासमझे वसमाणे है। लेहाइआओ गणियप्पहाणाओ सउणरुयपज्जवसाणाओ बावत्तरि कलाओ, चउसद्धिं महिलागुणे, सिप्पसयं च कम्माणं, तिन्निवि पयाहिआए उवदिसइ, उवदिसित्ता

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