Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 131
________________ अगारस्स य भाणियत्वं ॥ ३९ ॥ वासावासं पजोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा । | निग्गंथीण वा अपरिण्णएणं अपरिण्णयस्स अट्ठाए असणं वा १ पाणं वा २ खाइमं वा ३/४ साइमंवा ४ जाव पडिगाहित्तए॥४०॥ से किमाहु भंते? इच्छा परो अपरिण्णए भुंजिज्जा, : इच्छा परो न भुंजिज्जा ॥४१॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गं-3 थीण वा उदउल्लेण वा ससिणिवेण वा काएणं असणं वा १ पा०२ खा० ३सा०४ आहारि-15 हत्तए॥४२॥से किमाहु भंते ? सत्त सिणेहाययणा पण्णत्ता, तंजहा-पाणी १, पाणिलेहा २,४ नहा ३, नहसिहा ४, भमुहा ५, अहरोट्ठा ६, उत्तरोट्ठा ७। अह पुण एवं जाणिज्जा-विग-2 ओदगे मे काए छिन्नसिणेहे, एवं से कप्पइ असणं वा १ पा०२ खा०३सा०४ आहारित्तए । ॥४३॥ वासावासं पन्जोसवियाणं इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमाइं अट्ट सुहुमाइं, जाइं छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २ जाणियवाई पासि

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