Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 122
________________ कल्प० ॥ ५९ ॥ जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥ ११ ॥ एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया, एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा, एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सबओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतुं पड़िनियत्त ॥ १२ ॥ एवं च नो चक्किया, एवं से नो कप्पइ सबओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतुं पड़िनियत्तए ॥ १३ ॥ वासावासं पजोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुत्रं भवइ - दावे भंते! एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ पड़िगाहित्त ॥ १४ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वुत्तपुखं भवइ - पड़िगाहेहि भंते ! एवं से कप्पइ पडिग़ाहित्तए, नो से कप्पइ दावित्त ॥ १५ ॥ वासावासं० दावे भंते! पडिगाहे भंते ! एवं से कप्पइ दावित्तएवि पड़िगाहित्तएवि ॥ १६ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा हट्टाणं तुट्ठाणं आरोगाणं बलियासरीराणं इमाओ नव रसविगइओ अभिक्खणं २ आहारितए, तंजहा - खीरं बारसो ॥ ५९ ॥

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