Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 128
________________ कल्प० ॥६२॥ वग्घारियवुट्टिकायंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए हैं। बारसो वा, कप्पइ से अप्पवुदिकायंसि संतरुत्तरंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्ख* मित्तए वा पविसित्तए वा ॥३१॥ (ग्रं० ११००) वासावासं पजोसविअस्स निग्गंथस्स में निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविठुस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए । निवइजा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा, अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए ॥३२॥ तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउत्ते चाउलोदणे पच्छाउत्ते भिलिंगसूवे, कप्पइ से चाउलोदणे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिगाहित्तए ॥ ३३॥ तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउत्ते भिलिंगसूवे पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से भिलिंगसूवे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिगाहित्तए ॥३४॥ तत्थ । से पुवागमणेणं दोवि पुवाउत्ताई कप्पंति से दोवि पडिगाहित्तए । तत्थ से पुवागमणेणं ।। ॥६ ॥

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