Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 96
________________ कल्प० सत्तमे पक्खे आसाढबहुले तस्स णं आसाढबहुलस्स चउत्थीपक्खे णं सवसिद्धाओ 5 बारसो ॥४६॥ महाविमाणाओ तित्तीसंसागरोवमद्विइआओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे 8 भारहेवासे इक्खागभूमीए नाभिस्स कुलगरस्स मरुदेवीए भारिआए पुत्वरत्तावरत्तकाल-13 समयंसि आहारवक्कंतीए जाव गब्भत्ताए वकंते ॥२०६॥ उसमेणं अरहा कोसलिए तिन्ना-8 णोवगए आविहुत्था, तंचहा-चइस्सामित्ति जाणइ-जाव-सुमिणे पासइ, तंजहा-गयगाहा। सवं तहेव-नवरं पढमं उसभं मुहेणं अइंतं पासइ-सेसाओ गयं । नाभिकुलगरस्स साहई, है सुविणपाढगा नत्थि, नाभिकुलगरो सयमेव वागरेइ ॥ २०७ ॥ तेणं कालेणं तेणं है 18 समएणं उसभे णं अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले है। तस्स णं चित्तबहुलस्स अट्ठमीपक्खे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राई १ मरुदेवाए (क० कि०, क० सु०) २ साहेइ (क० कि०, क० सु०) ESPAISASPIRADORASRISAISAIAK ॥४६॥

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