Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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६साइं छउमत्थपरियागं पाउणित्ता देसूणाई तीसं वासाइं केवलिपरियागं पाउणित्ता,81
बायालीसं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता बावत्तरि वासाइं सवाउयं पालइत्ता खीणे । वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए बहुविइक्वंताए तिहिं । वासेहिं अद्धनवमेहि य मासेहिं सेसेहिं पावाए मज्झिमाए हत्थिवालस्स रण्णो रज्जुयसभाए है
एगे अबीए छटेणं भत्तेणं अपाणएणं साइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पच्चूसकालसम-है। दयसि संपलिअंकनिसण्णे पणपन्नं अज्झयणाई कल्लाणफलविवागाइं पणपन्नं अज्झयणाई ।
पावफलविवागाइं छत्तीसं च अपुट्रवागरणाइं वागरित्ता पहाणं नाम अज्झयणं विभा-2 वेमाणे २ कालगए विइक्कंते समुज्जाए छिन्नजाइजरामरणबंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगड़े परिनिवुडे सबदुक्खप्पहीणे ॥ १४६ ॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव २ सबदुक्खप्पहीणस्स नव वाससयाई विइकंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असी-2
CCCESCRISAR
ॐ

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