Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 27
________________ सिवं समाणसोहंतसुद्धदंतं, वसहं अमिअगुणमंगलमुहं २ ॥ ३४ ॥ तओ पुणो हारनिकरखीरसागरससंककिरणद्गरयरययमहासेलपुंडुरंगं, (ग्रं० २०० ) रमणिञ्जपिच्छणिज्जं थिरलट्ठपट्ट्वट्टपीवरसुसिलिट्ठ विसिट्ठतिक्खदाढा विडंविअमुहं, परिकम्मिअजच्चकमलकोमलप्रमाणसोहंतलट्टउट्टं, रत्तुप्पलपत्तमउ सुकुमालतालुनिल्लालियग्गजीहं मूसागयपवरकणगताविअ आवत्तायंतवट्टतडियविमलसरिसनयणं, विसालपीवरवरोरुं, पडिपुन्नविमलखंधं, | मिडविसयसुहमलक्खणपसत्यविच्छिन्नकेसराडोवसोहिअं, ऊसिअसुनिम्मि असुजाय अप्फोडिअलंगूलं, सोमं सोमाकारं, लीलायंतं, नहयलाओ, ओवयमाणं नियगवयणमइवयंतं पिच्छइ सा. गाढतिक्खग्गनहं सीहं वयणसिरीपल्लेवपत्तचारुजीहं ३ ॥ ३५ ॥ तओ पुणो पुन्नचंदवयणा,उच्चागयठाणलट्ठसंठिअं, पसत्थरूवं, सुपइट्ठि अकणगं कुम्मसरिसोवमाणचलणं, अच्चुन्न १ पलंब० क० कि० २ कणगमय० क० कि० +++++++++ २

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