Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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उवदाणसालं गंधोदगसित्तं जाव-सीहासणं रयाविंति, रयावित्ता जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिंक कट्ट सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स तमाणत्ति पञ्चप्पिणंति ॥ ५९॥ तएणं सिद्धत्थे खत्तिए है। कलं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मीलियंमि अहापंडुरे पभाए, रत्तासोगप्पगासकिंसुअसुअमुहगुंजदरागबंधुजीवगपारावयचलणनयणपरहुअसुरत्तलोअणजासुअणकुसुमरासिहिंगुलनिअरातिरेअरेहंतसरिसे कमलायरसंडबोहए उठ्ठिअंमि . सूरे सहस्सरसिमि दिणयरे तेअसा जलंते, तस्स य करपहरापरखैमि अंधयारे बालायवकुंकुमेणं खचिअ व जीवलोए, सयणिज्जाओ अब्भुढेइ ॥ ६० ॥ अब्भुट्टित्ता पायपीढाओ
पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अट्टणसालं 1 अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अणेगवायामजोगवग्गणवामद्दणमल्लजुद्धकरणेहिं संते परि
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