Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 55
________________ **** र वासं च वत्थवासं च आभरणवासं च पत्तवासं च पुप्फवासं च फलवासं च बीअवासं चमल्लवासं च गंधवासं च चुण्णवासं च वण्णवासं च वसुहारवासं चे वासिंसु ॥९७॥ तेएणं से सिइत्थे खत्तिए भवणवइवाणमंतरजोइस वेमाणिएहिं देवेहिं तित्थयरजम्मणाभिसेयमहिमाए कयाए समाणीए पच्चूसकालसमयंसि नगरगुत्तिए सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी ॥ ९८ ॥ - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! कुंडपुरे नगरे चारगसोहणं करेह, करित्ता माणुम्माणवद्दणं करेह, माणुम्माणवडणं करिता कुंडपुरं नगरं सम्भितरबाहिरियं आसियसम्मजिओवलित्तं संघाडगतिगचउक्कचच्चरंचउम्मुहमहापहपहेसु सित्तसुइसंमट्ठरत्थंरावणवीहियं मंचा|इमंचकलिअं नाणाविहरागभूसि अज्झयपडागमंडिअं लाउल्लोइयमहिअं गोसीससरसरत्तचंदणदद्दरदिन्नपंचंगुलितलं उवचियचंदणकलसं चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं १ घण्णवासं च (क० कि०) २ पिअहयाए पिअं निवेएमो, पिअं मे भवउ मउडवज्जं जहामालिअं ओमयं मत्थए घोअइ (क० कि०) ***%*+6+6 16++++

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