Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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गच्छित्ता जाव सबोरोहेणं सवपुप्फगंधवत्थमल्लालंकारविभूसाए सवतुडिअसद्दनिनाएणं हैं। महया इड्डीए महया जुइए महया बलेणं महया वाहणेणं महया समुदएणं महया वरतुडि-18] अजमगसमगपवाइएणं संखपणवभेरिझल्लरिखरमुहिहुडुक्कमुरजमुइंगदुंदुहिनिग्घोसना-2 इयरवेणं उस्सुक्कं उक्करं उक्किट्ठ अदिजं अमिजं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं । गणिआवरनाडइजकलियं अणेगतालायराणुचरिअं अणुडुअमुइंगं,(मं.५००) अमिलायमल्लदामं पमुइअपक्कीलियसपुरजर्णजाणवयंदसदिवसं ठिईवडियं करेइ॥तएणं से सिद्धत्थे 2|| राया दसाहियाए ठिईवडियाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य जाए। य दाए य भाए अ दलमाणे अ दवावेमाणे अ, सइए अ साहस्सिए अ सयसाहस्सिए । य लंभे पडिच्छमाणे य पडिच्छावेमाणे य एवं विहरइ.॥ १०१॥ तएणं समणस्स भग
१ अहरिमं (क० कि० ) २ अगणिअवरनाडइज्जकलिअं (क० कि० ) ३ जणाभिरामं (क० कि०)

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