Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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अ सुद्धोदएहि अ, कल्लाणकरणपवरमजणविहीए मन्जिए, तत्थ कोउअसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणगपवरमजणावसाणे पम्हलसुकुमालगंधकासाइअहिअंगे अहयसुमहग्घदूसरयणसुसंवडे सरससुरभिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावण्णगविलेवणे आविद्यमणिसुवण्णे ।। कप्पियहारहारतिसरयपालंबपलंबमाणकडिसुत्तसुकयसोभे पिणद्धगेविन्जे अंगालजग-5 ललियकयाभरणे वरकडगतुडिअथंभिअभए अहिअरूवसस्सिरीए कुंडलउज्जोइआणणे , मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकयरइअवच्छे मुद्दिआपिंगलंगुलीए पालंबपलंबमाणसुकयप- है डउत्तरिजे नाणामणिकणगरयणविमलमहरिहनिउणोचिअमिसिमिसिंतविरइअसुसिलिटुविसिट्ठलट्ठआविद्धवीरवलए, किंबहुणा ?कप्परुक्खए चैव अलंकिअविभूसिए नरिंदे, सकोशारिंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणें सेअवरचामराहिं उडुबमाणीहिं मंगलजयसद्दकया-2
१ नासानीसासवायवज्झचक्खुहरवण्णफरिसजुत्तयलालापेलवाइरेगधवलकणगखचिअंतकम्मदूसरयणमुसंवुए (क० कि०) २ एगावलिपिणद्धे इत्यादि क० कि०

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