Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 26
________________ कल्प० X*** ॥११॥ -SAIRAUSSURSLARLISLESAISAISAI ओहीरमाणी २ इमेआरूवे उराले जाव चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा- बारसो गर्य-वसह-सीह-अभिसेर्ये-दाम-ससि-दिणयरं झयं कुंभ । पउमसर-सागर-विमाणभवणे-रयणुच्चय-सिहिं . ॥ १॥ तएणं सा तिसला खत्तिआणी तप्पढमयाए तओअचउइंतमूसिअविपुलजलहरहारनिकरखीरसागरससंककिरणदगरयरययमहासेलपंडुरतरं, समागयमहुयरसुगंधदाणवासियकपोलमूलं देवरायकुंजरं, (र) वरप्पमाणं पिच्छइ सजलघणविपुलजलहरगजियगंभीरचारुघोसं इभं सुभं सवलक्षणकयंबिअं,वरोरुं १॥३३॥तओ पुणो धवलकमलपत्तपयराइरेगरूवप्पभं ,पहासमुदओवहारेहिं सवओ चेव दीवयंतं अइसिरिभरपिल्लणाविसप्पंतकंतसोहंतचारुककुहं तणुसुइसुकुमाललोमनिद्धच्छविं, थिरसुबद्धमंसलोवचिअलट्ठसुविभत्तसुंदरंगं पिच्छइ घणवठ्ठलट्ठउक्किट्ठविसिद्वतुप्पग्गतिक्खसिंगंदंतं ॥ १ नास्तीदं क० सु० २ सुद्ध क० सु० *****

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