Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 28
________________ कल्प० 58-694 जयपीणरइअमंसलउन्नयतणुतंबनिधनहं,कमलपलाससुकुमालकरचरणकोमलवरंगुलिं,कुरु-5 बारसो ॥१२॥ विंदावत्तवट्टाणुपुत्वजंघ,निगूढजाणुं गयवरकरसरिसपीवरोरुं,चामीकररइअमेहलाजुत्तकंत-21 विच्छिन्नसोणिचक्वं, जच्चंजणभमरजलयपयरउज्जुअसमसंहिअतणुअआइजलडहसुकुमाल-1|| मउअरमणिज्जरोमराइं नाभीमंडलसुंदरविसालपसत्थजघणं करयलमाइअपसत्थतिवलियमझं नाणामणिकणगरयणविमलमहातवणिज्जाभरणभूसणविराइयंगोवंगिं, हारविरायंतकुं दमालपरिणद्धजलजलिंतथणजुअलविमलकलसं आइयपत्तिअविभूसिएणंसुभगजालुजलेपण मुत्ताकलावएणं उरत्थदीणारमालियविरइएण,कंठमणिसुत्तएण य कुंडलजुअलुल्लसंतों सोवसत्तसोभंतसप्पभेणं,सोभागुणसमुदएणं आणणकुटुंबिएणं, कमलामलविसालरमणिजलोअणं कमलपज्जलंतकरगहिअमुक्कतोयं लीलावायकयपक्खएणं सुविसदकसिणघणसण्ह १ मतुवंगि क० कि० ROCHIRASHIPAJISAIAIAIAIA | ॥ १२॥

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