Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Vinayvijay, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Yashovijay Pustakalay
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अणंतस्स णं जावप्पहीणस्स सत्त सागरोवमाइं पन्नहिँ च, सेसं जहा मालस्स १४ ॥ १९१
श्रीअनन्तनाथ १४ निर्वागच्चतुर्भिः सागरधर्मनिर्वाणं । ततश्च त्रिसागर-पञ्चषष्टिलक्ष-चेतुरशीतिसहस्र-नवशताऽशीतिवर्षाऽतिक्रमे पुस्तकवाचना १४ ॥१९१॥
विमलस्स णं जावप्पहीणस्स सोलस सागरोवमाइं विइकताई पन्नटिं च सेसं जहा मल्लिस्स१३॥ ___ श्रीविमल१३निर्वाणान्नवभिः सागरैः श्रीअनन्तनिर्वाणं ततोऽपि सससागरपञ्चषष्टिलक्ष-चतुरशीतिसहस्र-नवशताऽशीतिवर्षाऽतिक्रमे पुस्तकवाचना ॥ १३ ॥१९२॥ । वासुपुज्जस्स णं जावप्पहीणस्स छायालीसं सागरोवमाइं पन्नटिं च सेसं जहा मल्लिस्स १२॥१९३ __श्रीवासुपूज्य१२निर्वाणात् त्रिंशत्सागरोपमैर्विमलनिर्वाणं ततश्च षोडशसागर-पञ्चषष्टिलक्ष-चतुरशीतिसहस्र-नवशताऽशीतिवर्षाऽतिक्रमे पुस्तकवाचना १२ ॥१९॥ सिज्जंसस्स णं जाव पहीणस्स एगे सागरोवमसए विइकते पन्नटिं च सयसहस्सा सेसं जहा मल्लिस्स ११ ॥१९४॥
श्री श्रेयांस११निर्वाणात् चतुःपञ्चाशत्सागरैः श्रीवासुपूज्यनिर्वाणं ततोऽपि षट्चत्वारिंशत्सागरपञ्चषष्टिलक्ष-चतुरशीतिसहस्र-नवाशताऽशीतिवर्षाऽतिक्रमे पुस्तकवाचना ॥ ११ ॥१९॥ सीयलस्स णं जावप्पहीणस्स एगा सागरोवमकोडी तिवासअद्धनवमासाहियवायालीसवासस
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