Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Vinayvijay, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Yashovijay Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 295
________________ [ अथाऽष्टमं व्याख्यानं ] साम्प्रतं स्थविरावली वक्तुकामः प्रक्रमतेतेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स नवगणा इकारस गणहरा हुत्था ॥१॥ व्याख्या तेणं कालेणमित्यादि ॥ १ ॥ से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ ? समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा इकारस गणहरा हुत्था ? ॥२॥ व्याख्या-से केणतुणमित्यत्र से शब्दोऽथशब्दार्थे प्रश्नयितुरयमभिप्रायः " किल जावइआ जस्स गणा तावइया गणहरा तस्स" त्ति वचनाद्गणधरमाना एव गणाः सर्वजिनानां, वीरस्य तु किमर्थ नघगणा एकादश गणधरा इति ॥ २॥ आचार्यः आइसमणस्स भगवओ महावीरस्स जिढे इंदभूई अणगारे गोयमसगुत्ते णं पंचसमणसयाई वाएइ १ मज्झिमए अग्गिभूई अणगारे गोयमसगुत्ते णं पंचसमणसयाई वाएइ.२ कणीयसे अ

Loading...

Page Navigation
1 ... 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378