Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Vinayvijay, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Yashovijay Pustakalay

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Page 349
________________ | वहबो दोषाः एकाकिनस्तावदात्मपरोभयसमुत्थाः साधवो वसतिस्थाः अधृतिं कुर्युरिति ॥ ३६॥ वासवासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडिआए अणुपविट्ठस्स निग्गिन्जिअ निग्गिज्जिअ वुट्टिकाए निवइज्जा कप्पइ से अहे आरामंसि अहे उवस्सयंसि वा जाव उवागच्छित्तए ॥ ३७॥ व्याख्या-वासावासमित्यादि प्राग्वत् ॥ ३७॥ तत्र विकटगृहादौ च कथं स्थेयमित्याहतत्य नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए निग्गंथीए एगओ चिट्ठित्तए १, तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स दुन्हं निग्गंथीणं एगओ चिट्ठित्तए २, तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निग्गंथाणं एगाए निग्गंथीए एगओ चिद्वित्तए ३, तत्थ नो कप्पइ दुन्हं निग्गंथाणं दुन्हं निग्गंथीणं एगओ चिद्वित्तए ४, अस्थि अ इत्थ केइ पंचमे खुड्डए वा खुड्डिआए वा अन्नसिं वा संलोए सपडिदुवारे एवं हं कप्पइ एगओ चिट्ठित्तए ॥३८॥ वासावासं प० निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडिआए अणुप्पविट्ठस्स निग्गिज्झअ निग्गिझिअ वुट्टिकाए निवइज्जा कप्पइ से

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