________________
हैं। ऐसे ही हमारा ये आत्मा मालिक है, मन मुनीम है और इन्द्रियां नौकर चाकर हैं। मुनीम जो भी बोली लगाता है उसका लाभ हानि मालिक को होता है। मालिक अगर सावधान है तो मुनीम को हानि से लाभ की ओर लगा सकता है। यही अवस्था हमारी है।
__मन मुनीम अच्छाईयों और बुराईयों की बोलियाँ लगाता है पर अगर आत्मा रूपी मालिक सावधान है तो वो उसे बुराई से हटा कर अच्छाई की तरफ लगा सकता है। बस जिसका आत्मा रूपी मालिक जागृत है वो संत है और जिसकी आत्मा सोई हुई है वो संसारी है।
____राजा घोड़े पर सवार होकर जा रहा था। देखा रास्ते में कंकर पत्थरों के ढेर पर एक सन्यासी बैठा है, जो अभी अभी सोकर उठा था। राजा ने सोचा- ये बेचारा कंकरियों पे सो रहा है ? इसके मन में ख्याल आता होगा कि
____'अब के फंसे छूटेंगे,
और बैठे मिट्टी कूटेंगे। यानि ये भी सोचता होगा जिंदगी में खामखाह का पंगा ले लिया। फिर अपना ख्याल आया-अरे मेरे यहां नरम नरम गद्दे, नौकर चाकर, सुख के सारे साधन, कहाँ ये, और कहाँ मैं ? पहले जो दया जागी थी उसका स्थान अब अहंकार ने ले लिया। बड़ा इतरा कर पूछा-महाराज! कहो कैसी बीती ? वो तो फक्कड़ फकीर थे, कहा-राजन! कुछ तेरे जैसी गुजरी, कुछ तेरे से अच्छी गुजरी। हैं, ये क्या ? कुछ मेरे जैसी और, कुछ मेरे से अच्छी ? कैसे ?
(16)