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हमारे यहां एक बड़ा ही प्रसिद्ध दोहा है
"धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।।"
अर्थात हमें धैर्य से काम लेना चाहिए, किसी भी काम में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, क्यूंकि हर काम का एक समय होता है। माली बीज बोने के बाद ये सोचे कि-ये आज ही वृक्ष बन जाए या इस पर मीठे-मीठे फल लग जाएं, तो ऐसा सम्भव नहीं है। एक ऐसा बच्चा, जिसका अभी जन्म ही हुआ है उसे हम लाख बुलाना चाहें, लाख चलाना चाहें लेकिन वो बोल और चल नहीं सकता। क्यूंकि अभी वो परिपक्व नहीं हुआ।
यही बात धर्म के संबंध में भी है। लोग चाहते हैंएक माला फेरें और हमारे सब दुःख दूर हो जाएं, सब मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएं, अगर ऐसा नहीं होता तो इसका मतलब ये हुआ कि - धर्म में, भगवान के नाम में कोई शक्ति है ही नहीं।
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