Book Title: Kaise Kare Is Man Ko Kabu
Author(s): Amarmuni
Publisher: Guru Amar Jain Prakashan Samiti

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Page 62
________________ यही बात मन की है, वह भी केवल साधन ही है, वह ना हमें बुराईयों की ओर ले जा सकता है और ना ही अच्छाईयों की ओर। वह तो एक सहयोगी की तरह है। उससे आप जैसा भी सहयोग लेना चाहें, ले सकते हैं। तो निष्कर्ष यह निकला कि - बुराई या अच्छाई की तरफ जाना, न जाना हमारे ऊपर ही निर्भर है। तो फिर देर किस बात की ?यदि उस परम धाम तक, मुक्ति के उस दिव्य द्वार तक पहुंचना चाहते हैं तो अपने इस मन को अशुभ से शुभ की ओर मोड़ दीजिए, फिर एक दिन आप निश्चय ही उस शुद्ध स्वरूप को उपलब्ध हो जाएगें ........

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