Book Title: Kaise Kare Is Man Ko Kabu
Author(s): Amarmuni
Publisher: Guru Amar Jain Prakashan Samiti

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Page 68
________________ रहें हैं, उनकी हस्ती ही मिट रही है। तो बड़ी तकलीफ होती है। लेकिन मेरे प्यारे मत भूलो कि-जब बीज टूटता है, तभी वृक्ष बनता है, जब नदिया अपने आपको मिटाने को राजी हो जाती है, तभी वो सागर बन पाती है। और सरल इसलिए है कि इसमें कुछ भी नहीं करना, केवल अपने स्वांस पर ध्यान एकाग्र करना, है कि - सांस आ रही है, जा रही है। जब कभी क्रोध आए, वासना हावी होने लगे आप अपनी स्वांस पे ध्यान देना। यदि उस समय आपकी स्वांस नार्मल हो जाए तो आप देखेंगे कि - क्रोध का भाव, वासना का आवेग धीरे-धीरे शांत हो रहा है। इसी तरह जब आप ध्यान करने बैठें, माला-जप करने बैठे तो स्वांस पर विशेष ध्यान रखें। उससे आपकी एकाग्रता बढ़ेगी और जब आप इस स्वांस प्रेक्षा का निरन्तर अभ्यास करते जाएंगे तो एक दिन भेद विज्ञान की अवस्था को उपलब्ध हो जाएंगे, तब आपको स्वयं ये आभास होने लग जाएगा कि- शरीर अलग है और आत्मा अलग है। इसी को विपश्ना भी कहा जाता है। तो स्वांस प्रेक्षा बड़ा मनोवैज्ञानिक उपाय है, इसे कभी भी, कहीं भी किया जा सकता है। इसके द्वारा ब्लैड प्रेशर, हार्ट 66)

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