Book Title: Kaise Kare Is Man Ko Kabu
Author(s): Amarmuni
Publisher: Guru Amar Jain Prakashan Samiti

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Page 44
________________ - हम तभी दूसरों के मन पर राज कर सकते हैं जब अपने मन पर हमारा राज हो। अपना मन तो हमारे वश में नहीं और हम दूसरों के मन को जीतना चाहें ? ऐसा होना नामुमकिन है, कुछ पल के लिए हो भी जाए पर सदा के लिए वो स्थाई रूप कभी नहीं ले सकता। आपने ताश खेली होगी ? कितने पत्ते होते हैं ताश में ? बावन ? हाँ- ना तो कर दो? घबराते क्यूं हो? और संत दरबार में भी आपकी घबराहट दूर ना हुई तो और कहाँ होगी ? तो ताश के बावन पत्ते, उनमें चित्रों वाले कितने ? बारह। बारह में भी मुख्य होते हैं- तीन । बादशाह, बेगम और गुलाम। ठीक है ना ? मैंने कभी खेली नहीं, केवल पढ़ी-सुनी हुई बात ही कह रहा हूँ। तो तीन तरह के चित्रों वाले पत्ते होते है ताश में । गुलाम, बेगम और बादशाह। गुलाम कौन है ? जो बेगम से हार गया और बादशाह कौन है ? जिसने लेगम को जीत लिया। आईए - अब अध्यात्म क्षेत्र की ओर चलते हैं- ये मन लेगम के समान है, जो इससे हार गया वो गुलाम बन गया और जिसने इसको जीत लिया बो बादशाह बन गया। तो भाई, सन्ततो यही सलाह दैमै कि मुली मावी, बादशाह बनो।

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