Book Title: Kaise Kare Is Man Ko Kabu
Author(s): Amarmuni
Publisher: Guru Amar Jain Prakashan Samiti

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Page 21
________________ 4 हमारे इस मन की गति बड़ी विचित्र है। जिसका पार पाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। इसी मन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए अध्यात्म युग पुरुष प्रवर्त्तक श्री अमर मुनि जी महाराज अपने अमृत प्रवचनों में फरमाते हैं कि T हमारा ये मन पानी के समान है। जैसे पानी का अपना ना कोई रंग होता है, ना आकार । जो रंग मिला दें उसी रंग का बन जाता है, जिस बर्तन में डाल दें, वही आकार ले लेता है, यही अवस्था है हमारे इस मन की । इसका भी अपना ना कोई रंग है, ना ही कोई आकार । अच्छाईयों का रंग डाल दें तो ये अच्छा बन जाता है और बुराईयों का रंग मिला दें तो ये बुरा हो जाता है। जैसे संस्कार रूपी बर्तन में डाल दें वैसा ही ये आकार ले लेता है । आपने देखा होगा-पानी हमेशा नीचे की ओर जाता है। ऐसे ही इस मन का स्वभाव भी नीचे की ओर, पतन की ओर जाना है । पर अगर इसी मन रूपी पानी को 19

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